संकटमोचन हनुमान मंदिर, मुहाँस: प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर भारत के मध्यप्रदेश प्रांत के कटनी जिले से लगभग 35 किमी दूर मुहांस गांव में हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर हैं। हड्डियों के रोग से पीड़ित लोगों को सही उपचार मिलने के कारण इस मंदिर को ‘ऑर्थोपेडिक हनुमान मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। इस अद्भुत व अकल्पनीय चमत्कार के कारण इस मंदिर की चर्चा देश के साथ साथ विदेशों में भी है। यहां किसी अस्पताल से ज्यादा भीड़ हड्डी रोग से पीड़ित लोगों की लगती है। वैसे तो यहां से कोई भी हनुमान भक्त खाली हाथ नहीं लौटता लेकिन यहां मुख्यतः हड्डी रोग से पीड़ित लोग आते है और खुशी-खुशी ठीक होकर जाते है। कई मरीज तो यहां स्ट्रेचर पर आते हैं, तो किसी को एम्बुलेंस में लाया जाता है। लेकिन यहां हड्डी रोग से परेशान लोगों का इलाज भगवान हनुमान की दिव्य शक्ति से स्वयं हो जाता है।
मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में दर्शन करता है उसकी टूटी हुई हड्डियां अपने आप जुड़ जाती हैं। वैसे तो इस मंदिर में रोज ही औषधि दी जाती है, पर मंगलवार तथा शनिवार की औषधि का प्रभाव ज्यादा होता है, इसलिए इन दो दिनों में ज्यादा मरीजों की भीड़ आती है। रहवासियों का कहना है की यहां रोज लाखों की संख्या में मरीज़ आते हैं लेकिन कोई भी निराश होकर नहीं जाता। इस मंदिर में औषधि के लिए कोई मूल्य नहीं है और वह हर व्यक्ति को निशुल्क ही खिलाई जाती है। लेकिन भक्त फिर भी अपनी श्रद्धा से दान पेटी में डाल देते हैं। यहां मंदिर के बाहर बनी दुकानों पर हड्डियों के दर्द आदि को ठीक करने के लिए तेल भी बिकते हैं।
मुहाँस हनुमान मंदिर (Muhans Hanuman Temple) पत्तियों व जड़ रूपी इस औषधि को खूब चबाकर खा जाने की सलाह जाती है। औषधि खाते ही सभी को विदा कर दिया जाता है, यहां बस इतना ही इलाज है। मंदिर के पुजारी के अनुसार, यहां भगवान हनुमान विराजे है, जिनके आशीर्वाद से हर प्रकार के फ्रैक्चर जुड़ जाते है। औषधि मंदिर के पहले वाले पंडा सुखमयन लाल जी को भगवान ने साधु रूप में आकर खुद देकर गए थे जिसके बाद से भगवान के आशीर्वाद से आज मंदिर की प्रसिद्धि पूरे भारत में फैल गई।
मुहाँस हनुमान मंदिर हड्डी जोड़ने वाले हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है। यहां मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही पीड़ित व्यक्ति को आंख बंद करके राम-नाम का जाप करने की सलाह देते हैं। पीड़ित व्यक्ति जैसे ही आंख बंद कर जाप करने में मग्न रहता है तभी वहां के साधू व संत अपने सहयोगियों के साथ सभी को कोई औषधि खिलाते हैं। जो की कई तरह की जड़ी-बूटियों से मिलकर बनती है व अत: यह प्राकृतिक औषधि होती है और पीड़ित को इसे चबाकर खाना होता है। वहीं औषधि खाने के बाद उन लोगों को घर जाने के लिए बोल दिया जाता है। उसके बाद औषधि के प्रभाव और हनुमान जी के आशीर्वाद से हड्डियां जुड़ जाती हैं।