पर्व – गायत्री जयंती: वेदों की माता गायत्री की उत्पत्ति ज्येष्ठ मा​ह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हुई थी। इस दिन निर्जला एकादशी भी होती है।

पर्व – गायत्री जयंती: वेदों की माता गायत्री की उत्पत्ति ज्येष्ठ मा​ह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हुई थी। इस दिन निर्जला एकादशी भी होती है।

पर्व – गायत्री जयंती: वेदों की माता गायत्री की उत्पत्ति ज्येष्ठ मा​ह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हुई थी। इस दिन निर्जला एकादशी भी होती है। मां गायत्री के उत्पति दिवस को गायत्री जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस साल गायत्री जयंती पर एकादशी तिथि 17 जून को सुबह 04:43 से 18 जून को सुबह 06:24 तक है। गायत्री जयंती के दिन रवि योग बन रहा है, जो सुबह 05:23 से दोपहर 01:50 तक है। इस बार रवि योग में गायत्री जयंती मनाई जाती है।

धार्मिक मान्यतानुसार, मां गायत्री की उपासना करने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही घर में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली का संचरण होता है। सामान्य दिनों में भी साधक पूजा के समय गायत्री मंत्र का जप करते हैं। ज्योतिष ध्यान के समय गायत्री मंत्र जप करने की सलाह देते हैं। इस मंत्र के जप से साधक को नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है।

पौराणिक कथानुसार, यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन वेदों की माता मां गायत्री की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि पाने के लिए व्रत रखा जाता है। व्रत रखते हुए गायत्री मंत्र का जाप अत्यंत फलदाई है।