भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले से 110 किलोमीटर दूर सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग काफी बड़ा और मोटा है इसी वजह से यह मंदिर मोटेश्वर महादेव के नाम से भी विख्यात है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की रोचक बात यह है कि यहां इन पहाड़ियों के आसपास जंगलों में जो वनस्पतियां पाई जाती हैं वह भारतवर्ष में अन्य कहीं पर भी नहीं मिलती और यहां कई प्रकार के प्राणियों की दुर्लभ प्रजातियां भी है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में 1 और रोचक तथ्य है कि भारतवर्ष में भीमाशंकर नाम के दो प्रसिद्ध मंदिर थे। एक महाराष्ट्र के पुणे में दूसरा आसाम के कामरूप जिले में स्थित है। मान्यताओं के अनुसार, महाराष्ट्र के भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के मंदिर का निर्माण छत्रपति महाराज शिवाजी ने करवाया था।
पौराणकि कथानुसार, त्रेतायुग में कुम्भकर्ण के एक पुत्र का नाम भीमा था। उसका जन्म कुम्भकर्ण की मृत्यु के बाद हुआ था। अपने पिता की मृत्यु के बारे में जानकर वह बौखला गया और हर हाल में भगवान राम का वध करना चाहता था। इसके लिए उसने ब्रह्मा की बहुत कठिन तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर उसने विजयी होने का वर प्राप्त कर लिया। वरदान पाकर भीमा राक्षस निरंकुश हो गया और उत्पात मचाने लगा। देवता चिंतित होकर भगवान शिव की शरण में गये। देवताओं की व्यथा का अंत करने के लिए शिव ने भीम राक्षस का अंत कर दिया और वहीँ हमेशा के लिए विराजमान हो गये। इसी वजह से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमाशंकर पड़ा।
शिव पुराण में उल्लेख मिलता है कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में सूर्योदय के बाद जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है उसे उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा पुराणों में यह भी उल्लेख है कि राक्षस भीमा और भगवान शंकर के बीच हुई लड़ाई से भगवान शिव के शरीर से निकले पसीने की बूंद से ही भीमारथी नदी का निर्माण हुआ है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग वर्षा ऋतु में पूरी तरह से जल में डूब जाता है। इस मंदिर के पास ही कमलजा मंदिर भी है जो कि भारत वर्ष में बहुत प्रसिद्ध मंदिर माना गया है। कमलजा माता को माता पार्वती का अवतार ही माना जाता है।