ज्योतिर्लिंग – सोमनाथ मंदिर: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक यह ज्योतिर्लिंग भारत के गुजरात प्रांत के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित है। ऋग्वेद में वर्णित महत्व के अनुसार, इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्र देव ने कराई। सोम अर्थात चन्द्र, चन्द्र के द्वारा इसकी स्थापना होने से इसका नाम सोमनाथ पड़ा। ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने अपनी देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ को गमन किया था। कालांतर में इस मंदिर के खंडन और पुनर्निर्माण की कई पुनार्वृति हुईं। परंतु आज हम जिस शिवलिंग के दर्शन करते हैं उसे भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने स्थापित किया।
पौराणिक कथानुसार, चन्द्रमा यानी सोम को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग होने का शाप दे दिया। इस शाप से मुक्ति के लिए शिव भक्त चन्द्रमा ने अरब सागर के तट पर शिव जी की तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर शिव प्रकट हुए और चन्द्रमा को वरदान दिया। चन्द्रमा ने जिस शिवलिंग की स्थापना और पूजा की वह शिव जी के आशीर्वाद से सोमेश्वर यानी सोमनाथ कहलाया।
स्कंद पुराण के प्रभास खंड में उल्लेख किया गया है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम हर नए सृष्टि के साथ बदल जाता है। इस क्रम में जब वर्तमान सृष्टि का अंत हो जाएगा और ब्रह्मा जी नई सृष्टि करेंगे तब सोमनाथ का नाम ‘प्राणनाथ’ होगा। प्रलय के बाद जब नई सृष्ट आरंभ होगी तब सोमनाथ प्राणनाथ कहलाएंगे। एक और मान्यतानुसार, चन्द्र देव में इस मंदिर का निर्माण सोने से करवाया था। रवि ने चांदी से इसके बाद श्री कृष्ण ने काठ से इस मंदिर का निर्माण करवाया। पहली पर पत्थरों से सोमनाथ मंदिर का निर्माण राजा भीमदेव ने करवाया था।