जगदीश मंदिर, उदयपुर: भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर भारत के राजस्थान प्रांत के उदयपुर शहर में स्थित है।

जगदीश मंदिर, उदयपुर: भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर भारत के राजस्थान प्रांत के उदयपुर शहर में स्थित है।

जगदीश मंदिर, उदयपुर: भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर भारत के राजस्थान प्रांत के उदयपुर शहर में स्थित है। यह मंदिर इंडो-आर्यन शैली में बना है। यह मंदिर महाराणा जगत सिंह द्वारा 1651 में बनाया गया था। उस अवधि (1628-53) के दौरान वे उदयपुर के शासक थे। ‘जगदीश’ भगवान विष्णु के कई नामों में से एक नाम है और यह मंदिर भगवान विष्णु (लक्ष्मी नारायण) को समर्पित है जो उदयपुर में सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। जगदीश मंदिर के अंदर चार भुजाओं वाले भगवान विष्णु की एक शानदार मूर्ति है। जो पूर्ण रूप से काले पत्थर के टुकड़े से बनाई गई है यह मूर्ति अपने पवित्र और दिव्य रूप से सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है।

जगदीश मंदिर (Jagdish Temple) के पास चार और छोटे मंदिर हैं जो मुख्य मंदिर के चारों ओर है। यह मंदिर भगवान गणेश, सूर्य देव, देवी शक्ति और भगवान शिव को क्रमशः समर्पित हैं। लगभग 125 फीट ऊंचाई पर बने इस मंदिर का शिखर भी भी 79 फीट ऊंचा है। भगवान जगदीश के इस मंदिर की शानदार नक्काशी और उसके भीतर काले पत्थरों से बनी भगवान श्री विष्णु की प्रतिमा का दर्शन करने वाला व्यक्ति खुद को धन्य मानता है।

राजस्थान के इस प्रसिद्ध विष्णु मंदिर के बारे में मान्यता है कि कभी भगवान श्री विष्णु ने यहां के राजा जगत सिंह प्रथम को सपने में दर्शन देकर एक भव्य मंदिर बनाने का आदेश दिया था। मान्यता है कि स्वप्न में भगवान श्री विष्णु ने राजा से कहा कि अब वे यहीं पर आकर निवास करेंगे। इसके बाद उदयपुर के महाराणा जगत सिंह प्रथम ने भगवान श्री विष्णु के इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। जिसे बनाने में कुल 25 साल लग गये और यह 1651 में जाकर पूरा हुआ था।

इतिहासकारों के अनुसार, मुगल बादशाह औरंगजेब ने जगदीश मंदिर पर हमला किया था, जिसमें इसका अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसे बाद में महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय द्वारा सही करवाया गया था। जगदीश मंदिर में कई लोगों द्वारा देखा जाने वाला एक दिलचस्प नज़ारा संगमरमर है, जिसे मुख्य मंदिर की सीढ़ी की शुरुआत में रखा गया है। संगमरमर के इस हिस्से पर यात्री और स्थानीय लोग घुटनों, पीठ या पीठ को रगड़ते हुए एक लाइन बनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस संगमरमर के टुकड़े में शरीर के जिस हिस्से को व्यक्ति रगड़ता है, उसमें किसी भी तरह के गैप को दूर करने की जादुई क्षमता होती है।