रूस की चाँद पर बिजली बनाने की योजना, न्यूक्लियर पावर प्लांट स्थापित कर असंभव को संभव बनाने में जुटे वैज्ञानिक।

रूस की चाँद पर बिजली बनाने की योजना, न्यूक्लियर पावर प्लांट स्थापित कर असंभव को संभव बनाने में जुटे वैज्ञानिक।

Lunar Nuclear Power Plant: रूस की चाँद पर बिजली बनाने की योजना, न्यूक्लियर पावर प्लांट स्थापित कर असंभव को संभव बनाने में जुटे वैज्ञानिक। एक ओर जहाँ लोगों का चाँद पर पहुंचना मुश्किल हो रहा है वहीं दूसरी ओर रूस के वैज्ञानिक चाँद पर बिजली बनाने की तैयारी कर रहे हैं। ये बात भले ही आपको अटपटी लग रही हो। लेकिन पूरी तरह सच है। रूस चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने की योजना बना रहा है। इस प्रोजेक्ट में भारत और चीन भी शामिल हो सकते हैं। लूनर न्यूक्लियर पावर प्लांट का नेतृत्व रूस की सरकारी न्यूक्लियर पावर कंपनी रोसाटॉम कर रही है।

रूस के राज्य परमाणु निगम, रोसाटॉम (ROSATOM) के प्रमुख एलेक्सी लिकचेव ने ईस्टर्न इकनोमिक फोरम में बोलते हुए कहा, “यह न्यूक्लियर प्लांट चांद पर एक मानवयुक्त बेस के लिए बिजली बनाएगा, जिसे 2036 तक स्थापित करने की योजना है। रूस चांद पर एक छोटा न्यूक्लियर पावर प्लांट स्थापित करना चाहता है, जिससे लगभग आधा मेगावाट बिजली पैदा हो सकेगी। यह बिजली चांद पर बनाए जाने वाले बेस की जरूरतों को पूरा करेगी। इस प्रोजेक्ट में रूस को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी मिलता नज़र आ रहा है। भारत और चीन इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखा रहे हैं, खासकर भारत, जो 2040 तक चांद पर मानव मिशन भेजने और एक परमानेंट बेस स्थापित करने की योजना बना रहा है।”

रूसी समाचार एजेंसी टास (TASS) ने रोसाटॉम के चीफ एलेक्सी लिखाचेव के हवाले से कहा है कि भारत और चीन इस प्रोजेक्ट में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, भारत की तरफ से अब तक ऐसी किसी ऐसी योजना की पुष्टि नहीं की गई है। रूस इंसानों की सीधी भागीदारी के बिना चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट ऑटोमेशन के जरिए स्थापित करना चाहता है, जिससे चांद पर काम को ज्यादा प्रभावी बनाया जा सके। रूस और चीन स्पेस एक्सप्लोरेशन में बहुत नजदीकी के साथ काम कर रहे हैं। 2021 में दोनों देशों ने इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन (ILRS) नामक एक जॉइंट लूनर बेस बनाने के प्लान का ऐलान किया था। भारत और चीन जैसे देशों का सहयोग मिलने से चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट की स्थापना न केवल बिजली पैदा करने का नया दरवाजा खोलेगी, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कंपटीशन के लिए भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनेगी।