ज्योतिष – शनि वक्री 2024: कल 29 जून से न्यायमूर्ति शनिदेव होंगे कुंभ राशि में वक्री, ढैया और साढ़े साती के जातकों को चलना होगा संभलके, कुछ राशियों के लिए बनेंगे शुभ योग। ज्योतिष शास्त्रानुसार, शनि, मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। इनकी दिशा पश्चिम है, तो वहीं इनका तत्व वायु है। शनि तपस्या, दीर्घायु, वृद्धावस्था, एकाग्रता, अनुशासन, प्रतिबंध सद्गति–दुर्गति और न्याय का प्रतिनिधित्व करता है। जब शनि का गोचर चन्द्र राशि के चतुर्थ और आठवीं राशि में आता है, तो शनि की ढैय्या प्रारम्भ होती है, ढैय्या का अर्थ- ढाई वर्ष होता है। इस दौरान जो व्यक्ति तीर्थ यात्रा, स्नान और धर्म संबंधी कार्य करता है, तो उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शनि 29 जून 2024 से 15 नवंबर 2024 तक वक्री रहेंगे। शनि के वक्री होने का असर सभी 12 राशियों पर पड़ेगा। आइए जानते हैं वक्री शनि का सभी 12 राशियों पर प्रभाव।
1. मेष राशि के जातकों के लिए शनि गोचर में 11वें स्थान पर वक्री हुये हैं जो आय तथा इच्छाओं की पूर्ति का भाव है। शनि के इस गोचर से आपकी अधिकतर इच्छाओं की पूर्ति होगी । साथ ही आपकी आय में भी बढ़ोतरी होगी। समाज में भी आपका मान बढ़ेगा।
2. वृष राशि के जातकों के लिए शनि गोचर में 10वें स्थान पर वक्री हुए हैं जो कर्म, राज्य तथा पिता का भाव है। शनि के इस गोचर से आपके पिता का स्वास्थ्य गिर सकता है। उनके सेहत का ख्याल रखें। इसके अलावा आपके जॉब या कार्यस्थल में व्यस्तता बढ़ने की सम्भावना है।
3. मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि 9वें स्थान पर वक्री हुये हैं जो भाग्य, धर्म का भाव है। शनि के इस गोचर से आपके होने वाले कामों में गति आ जायेगी। अगर आप किसी नये व्यापार की शुरूआत करने की सोच रहे है तो बड़ों की राय जरूर लें भाग्य का साथ जरूर मिलेगा। आर्थिक पक्ष से जुड़ी समस्या हल होंगी ।
4. कर्क राशि के जातकों के लिए शनि 8वें स्थान पर वक्री हुये है जो आयु, चोट, हानि, गुह्य ज्ञान का भाव है। शनि के इस गोचर से आपके स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है। वैसे भी कर्क राशि की ढैया भी चल रही है। इसलिए सावधानी बरतने की जरूरत है।
5. सिंह राशि के जातकों के लिए शनि 7वें स्थान पर वक्री हुये हैं जो दांपत्य और साझेदारी का भाव है। शनि के इस गोचर से आपके दाम्पत्य रिश्ते में थोड़ी नोक-झोंक हो सकती है । शांत रहकर ठंडे दिमाग से काम लें वरना बात का बतंगड़ बन सकता है। अगर साझेदारी का बिजनेस है तो भी सोच- समझकर निर्णय लें।
6. कन्या राशि के जातकों के लिए शनि गोचर में 6वें स्थान पर वक्री हुये हैं जो शत्रु, रोग तथा कर्ज का भाव है। शनि के इस गोचर से आपके मित्र से किसी बात को लेकर अनबन हो सकती है। शत्रु पक्ष आपको परेशान करने की कोशिश कर सकता है।
7. तुला राशि के जातकों के लिए शनि गोचर में 5वें स्थान में वक्री हुये हैं जो संतान, बुद्धि, विवेक और प्रेम का भाव है। शनि के इस गोचर के प्रभाव से छात्रों का पढ़ाई में मन लगेगा। अगर विदेश में एडमिशन के लिए कोशिश कर रहे हैं तो सफलता मिल सकती है। संतानपक्ष की ओर से कोई अच्छी खबर आपको मिलेगी।
8. वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि गोचर में चौथे स्थान में वक्री हुये हैं जो भवन, भूमि, वाहन तथा माता का भाव है। शनि के इस गोचर से माता के स्वास्थ्य में थोड़ी गिरावट आ सकती है। अगर आप कोई नई जमीन लेने की सोच रहे हैं तो कुछ दिन रूक कर लें वरना परिणाम आपके इच्छा अनुसार नहीं होगा।
9. धनु राशि के जातकों के लिए शनि गोचर में तीसरे स्थान में वक्री हुये है जो पराक्रम, भाई-बहन तथा यश का भाव है। शनि के इस गोचर के दौरान आपका पराक्रम मजबूत रहेगा, भाई-बहन के रिश्ते मजबूत होंगे, पर थोड़ी नौंक झोंक की भी संभावना है।
10. मकर राशि के जातकों के लिए शनि गोचर में दूसरे स्थान पर वक्री हुए हैं जो धन, कुटुंब एवं स्वभाव का भाव है। शनि के इस गोचर से आपकी बचत बढ़ सकती है। आवश्यकता से अधिक बोलना आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखेंगे तो बेहतर रहेगा।
11. कुंभ राशि के जातकों के लिए शनि गोचर में पहले स्थान पर वक्री हुए हैं जो शरीर, मुख और दादी का भाव है। शनि के इस गोचर से स्वास्थ्य संबंधी समस्या बन सकती है। छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान आ सकता है। पैरों में दर्द की समस्या बन सकती है।
12. मीन राशि के जातकों के लिए शनि गोचर में 12वें स्थान में वक्री हुये हैं जो व्यय, शय्या सुख, विदेश गमन से है। शनि के इस गोचर से आप शैय्या सुख का अनुभव करेंगे। अगर आप कई दिनों से किसी बात को लेकर परेशान चल रहे थे तो आप बेहतर महसूस करेंगे। खर्चों पर नियंत्रण रखें।
उपाय: शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए गरीब, असहाय, मजदूर को भरपेट भोजन करायें। बुजुर्गों की सेवा करें और पीपल को सायंकाल दीप दान करें।