ज्योतिर्लिंग – केदारनाथ: भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड प्रांत के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। मान्यतानुसार, इस मंदिर का निर्माण पांडवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में 1 होने के साथ साथ चार धामों में से 1 धाम भी है। पौराणिक कथानुसार, हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए। नर और नारायण के आग्रह पर भगवान शिव सदा के लिए ज्योतिर्लिंग के रूप में यहीं वास करने लगे।
किवदंतियों के अनुसार, जब महाभारत युद्ध के बाद पांडवों पर अपने भाइयों और सगे-सम्बन्धियों की हत्या का दोष लग गया था। तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें भगवान शिव से क्षमा मांगने का सुझाव दिया था। लेकिन शिव जी पांडवों को क्षमा नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने पांचो की नजर में न आने के लिए बैल यानि नंदी का रूप धारण कर लिया और पहाड़ों में मौजूद मवेशियों में छिप गए थे। गदाधारी भीम ने उन्हें देखते ही पहचान लिया और शिव जी का यह भेद सबके सामने आ गया। लेकिन जब भोलेनाथ ने वहां से भी किसी अन्य स्थान पर जाने की कोशिश की तब भीम ने उन्हें रोक लिया और शिव जी को उन्हें क्षमा करना पड़ा।
वास्तुकला की बात करें तो केदारनाथ मंदिर 85 फीट ऊंचा, 187 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा है । इसकी दीवारें 12 फीट मोटी है और बेहद मजबूत पत्थरों से बनाई गई है। मंदिर को 6 फीट ऊंचे चबूतरे पर खड़ा किया गया है। यहां एक तरफ 22,000 फीट ऊंची केदारनाथ पहाड़ी, दूसरी तरफ 21,600 फीट ऊंची कराचकुंड और तीसरी तरफ 22,700 फीट ऊंचा भरतकुंड है। इन तीन पर्वतों से होकर बहने वाली पांच नदियां हैं मंदाकिनी, मधुगंगा, चिरगंगा, सरस्वती और स्वरंदरी। इनमें से कुछ पुराण में लिखे गए हैं। यह क्षेत्र “मंदाकिनी नदी” का एकमात्र जल संग्रहण क्षेत्र है।
हिमालय की चोटी और बर्फ से ढकी पहाड़ियों के बीच भगवान शिव के इस मंदिर के दर्शन के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। केदारनाथ धाम के कपाट एक निश्चित समय के ही लिए खुलते हैं और बाबा केदार के दर्शनों के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। केदारनाथ मंदिर के खोलने और बंद करने का मुहूर्त निकाला जाता है। अभी तक यह मंदिर मुख्यत: नवम्बर महीने की 15 तारीख से पूर्व बंद हो जाता है और छह महीने बाद अर्थात वैशाखी, 14 अप्रैल के बाद ही खुलता है।