ज्योतिर्लिंग – श्री बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग भारत के झारखंड प्रांत के देवघर नामक स्थान पर स्थित है। पवित्र तीर्थ होने के कारण लोग इसे “बाबा वैद्यनाथ धाम” (Baba Baidyanath Dham) भी कहते हैं। जहाँ पर यह मन्दिर स्थित है उस स्थान को “देवघर” अर्थात देवताओं का घर कहते हैं। मान्यतानुसार, यहां माता सती का हृदय गिरा था इसलिये इसे हृदयपीठ भी कहा जाता है। मंदिर में लगे शिलालेखों से यह भी ज्ञात होता है की इस मंदिर का निर्माण पुजारी रघुनाथ ओझा की प्रार्थना पर किया गया था।
यह ज्योतिर्लिंग एक सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहाँ आने वालों की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस कारण इस लिंग को “कामना लिंग” भी कहा जाता हैं। वैद्यनाथ मंदिर का निर्माण पगोडा शैली के अनुसार किया गया है। जहां पर पत्थरों में सूक्ष्म नक्काशी की गई है। मंदिर की परिसर को विशाल पत्थरों से बनाया गया है। 22 मंदिरों वाले बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर मे ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर, शक्ति पीठ माँ पार्वती मंदिर के अलावा 20 अन्य मंदिर स्थित हैं। इन मंदिरों में से प्रमुख वैद्यनाथ मंदिर है। यहाँ पर माँ पार्वती, भगवान श्रीगणेश, ब्रह्मा जी, कालभैरव, काली, अन्नपूर्णा और लक्ष्मी-नारायण सहित अन्य देवताओं के मंदिर स्थित हैं। माँ पार्वती मंदिर लाल पवित्र धागे के साथ शिव मंदिर से जुड़ा हुआ है।
मुख्य मंदिर के ऊपर एक पिरामिड टॉवर है जिसमें तीन सोने के बर्तन हैं जिसे राजा पूरन सिंह ने उपहार के रूप में दिए थे। इस मंदिर में त्रिशूल आकृति वाले पाँच चाकू भी हैं, और साथ में एक कमल का गहना भी है जिसमें आठ पंखुड़ियाँ हैं। जिन्हें चंद्रकांता मणि कहा जाता है। मंदिर के सामने भगवान शिव का एक विशाल नंदी पर्वत विराजमान है। देवघर का शाब्दिक अर्थ है देवी-देवताओं का निवास स्थान। देवघर में हर साल सावन के महीने में स्रावण मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु “बोल-बम!” “बोल-बम!” का जयकारा लगाते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने आते है। ये सभी श्रद्धालु सुल्तानगंज से पवित्र गंगा का जल लेकर कई सौ किलोमीटर की अत्यन्त कठिन पैदल यात्रा कर बाबा को जल चढाते हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने रावण की प्रार्थना से प्रभावित उसे एक शिवलिंग दिया था, जो रावण को अपने राज्य तक अपनी यात्रा बाधित किये बगैर ले जाना था। देवता दिव्य शिवलिंग को शत्रु राज्य को दिये जाने से प्रसन्न नहीं थे और इसलिए भगवान विष्णु एक ब्राह्मण का रूप धारण कर लिया तथा रावण से सफलतापूर्वक शिवलिंग छुड़ा दिया, और इस प्रकार यह देवघर में छूट गया। खोया हुआ शिवलिंग बैजू नाम के एक आदमी को मिला था और उसके बाद इसका नाम बैद्यनाथ मंदिर रखा गया। वैजू मंदिर ज्योतिर्लिंग मंदिर से 700 मीटर दूर ही स्थापित है। पुराणों में भी बैद्यनाथ को महत्व दिया गया है। मान्यता हैं की प्राचीन मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने स्वंय किया था।