बेट द्वारका हनुमान दांडी मंदिर

बेट द्वारका हनुमान दांडी मंदिर

बेट द्वारका हनुमान दांडी मंदिर: हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर गुजरात प्रांत के द्वारका से 4 मील की दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर मकरध्वज के साथ में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है। कहते हैं कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी परंतु अब दोनों मूर्तियां एक सी ऊंची हो गई हैं। इस मंदिर को दांडी हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह वही स्थान है जहां पहली बार हनुमानजी अपने पुत्र मकरध्वज से मिले थे।

मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही सामने हनुमान पुत्र मकरध्वज की प्रतिमा है, वहीं पास में हनुमानजी की प्रतिमा भी स्थापित है। इन दोनों प्रतिमाओं की विशेषता यह है कि इन दोनों के हाथों कोई भी शस्त्र नहीं है और ये आनंदित मुद्रा में है। यह मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है। भारत में यह पहला मंदिर जहाँ हनुमानजी और मकरध्वज (पिता -पुत्र) का मिलन दिखाया गया है।

धर्म शास्त्रों के अनुसार, रावण ने हनुमानजी की पूंछ में आग लगवा दी थी और हनुमान ने जलती हुई पूंछ से पूरी लंका जला दी। जलती हुई पूंछ की वजह से हनुमानजी को तीव्र वेदना हो रही थी जिसे शांत करने के लिए वे समुद्र के जल से अपनी पूंछ की अग्नि को शांत करने पहुंचे। उस समय उनके पसीने की एक बूंद पानी में टपकी जिसे एक मछली ने पी लिया था। उसी पसीने की बूंद से वह मछली गर्भवती हुई और उससे उसे एक पुत्र उत्पन्न हुआ, जिसका नाम “मकरध्वज” पड़ा। मकरध्वज भी हनुमानजी के समान ही महान पराक्रमी और तेजस्वी था। मकरध्वज को अहिरावण द्वारा पाताल लोक का द्वारपाल नियुक्त किया गया था। जब अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण को देवी के समक्ष बलि चढ़ाने के लिए अपनी माया के बल पर पाताल ले आया था तब श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराने के लिए हनुमान पाताल लोक पहुंचे और वहां उनकी भेंट मकरध्वज से हुई। तत्पश्चात हनुमानजी और मकरध्वज के में घोर युद्ध हुआ। अंत में हनुमानजी ने उसे परास्त कर उसी की पूंछ से उसे बांध दिया। मकरध्वज ने अपनी उत्पत्ति की कथा हनुमान को सुनाई। हनुमानजी ने अहिरावण का वध कर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया और श्रीराम ने मकरध्वज को पाताल लोक का अधिपति नियुक्त करते हुए उसे धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उनकी स्मृति में यह मूर्ति स्थापित है। मकरध्वज व हनुमानजी का यह पहला मंदिर गुजरात के भेट द्वारिका में स्थित है। भगवान कृष्ण के मुख्य मंदिर से लगभग 5 किमी दूर है।