शक्तिपीठ – माँ त्रिपुरमालिनी धाम: माँ भगवती का यह शक्ति पीठ भारत के पंजाब प्रांत के जालंधर शहर में स्थित है। जो रेलवे स्टेशन से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर के तालाब के मध्य स्थित होने की वजह से इसे ‘श्री देवी तालाब मंदिर’ नाम से भी जाना जाता है। मान्यतानुसार, मंदिर का यह वर्तमान स्वरूप 200 साल पुराना है। देवी का बायां वक्ष (स्तन) गिरने की वजह से इस शक्ति पीठ को ‘स्तनपीठ’ नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में देवी का वाम स्तन कपडे से ढका रहता है और धातु से बने मुख के दर्शन भक्तों को कराए जाते है।
भगवती के मुख्य मंदिर में तीन मूर्ति है। इन तीनों में मूर्ति में मां भगवती के साथ मां लक्ष्मी और मां सरस्वती विराजमान है। इसी वजह से इस मंदिर का नाम त्रिपुरमालिनी धाम से विख्यात हुआ। भक्त इस मंदिर में इन तीनों देवियों की मूर्ति की परिक्रमा करते हैं। यह पूरा परिसर लगभग 400 मीटर के दायरे में फैला हुआ है। मां के दर्शन के लिए हजारो भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं। मंदिर का शिखर सोने से बनाया गया है। समय समय पर मंदिर परिसर में मां के जगराते होते रहते हैं। नवरात्रों में बड़ी धूम-धाम से मेला लगता है। उस समय इस मंदिर को बहुत सारी मन मोहक झांकियों से सजाया जाता है।
पौराणिक मान्यतानुसार, मां सती का इस जगह बाया वक्ष(स्तन) गिरा था। जिसके बाद से मां यहां पर शक्ति ‘त्रिपुरमालिनी’ तथा भैरव ‘भीषण’ के रुप में विराजमान है। वशिष्ठ, व्यास, मनु, जमदग्नि, परशुराम जैसे विभिन्न महर्षियों ने त्रिपुरमालिनी रूप में यहां आकर पूजा-आराधना की थीं। इसके साथ ही भगवान शिव ने जांलधर नाम के राक्षस का वध किया। जिसके बाद से ही इस जगह का नाम जांलधर पड़ गया।
मंदिर निर्माण के दौरान वास्तुकला का खास ध्यान रखा गया है। 12 सीढ़ियां चढ़ने के बाद मंदिर का दरबार आता है। एक तरफ पीपल का पेड़ और मां का झूला है जो आध्यात्मिकता से ओतप्रोत है। पंजाब का एक मात्र शक्ति पीठ होने की वजह से यहां अच्छी खासी भीड़ एकत्रित होती है। हर शुक्रवार माता की चौकी के अलावा वार्षिक मेले में देश भर से श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं।