श्रीपुरम महालक्ष्मी (स्वर्ण मंदिर): माँ लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर तमिलनाडु प्रांत के वेल्लोर जिले में मलाईकोडी गाँव में श्रीपुरम आध्यात्मिक पार्क में स्थित है। श्रीपुरम मंदिर नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर दक्षिण के “स्वर्ण मंदिर” के नाम से भी प्रसिद्ध है। जिसका निर्माण 24 अगस्त, 2007 को पूरा हुआ। इस मंदिर में इस्तेमाल हुए सोने के बराबर स्वर्ण विश्व के किसी पूजा स्थल में प्रयोग नहीं हुआ है। यह मंदिर दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में वेल्लोर नगर के पास स्थित है। इस मंदिर को ‘श्रीपुरम महालक्ष्मी’ के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण वेल्लोर स्थित धर्मार्थ ट्रस्ट ‘श्री नारायणी पीडम’ द्वारा किया गया है, जिसके प्रमुख आध्यात्मिक नेता ‘श्री शक्ति अम्मा’ है, जिन्हें ‘नारायणी अम्मा’ के नाम से भी जाना जाता है। पूरा मंदिर सोने से निर्मित है और इसमें लगभग 1500 किलोग्राम शुद्ध सोने का प्रयोग हुआ है। यह मंदिर लगभग 100 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। रात को रोशनी में जगमगाते इस मंदिर को देखना बहुत ही सुखद अनुभव देता है।
इस मंदिर का सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन ‘काटपाडी’ है। काटपाडी स्टेशन से यह मंदिर 18 किमी की दूरी पर बना है। मंदिर की रचना वृताकार है और परिसर में बाहर की तरफ एक सरोवर बनाया गया है। इस सरोवर में भारत की सभी मुख्य नदियो का पानी ला कर मिलाया गया है। इसी कारण इसे ‘सर्व तीर्थम सरोवर’ कहते हैं। मंदिर की दीवारों पर अंदर और बाहर दोनों तरफ सोने की कोटिंग की गई है। श्रीपुरम स्वर्ण मंदिर पर सोने की लगभग नौ से पंद्रह सोने की परतें बनाई गई हैं। इन परतों को शिलालेखों से सजाया गया है। मंदिर में बने शिलालेख की कला वेदों से ली गई बताई जाती है।
इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इस मंदिर में आने वालों को एक सख्त ड्रेसकोड का पालन करना होता है। इस मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों की संख्या लाखों में है पर कोई भी लुंगी, शॉर्ट्स, नाइटी, मिडी, बरमूडा पहनकर अंदर नहीं जा सकता। मंदिर प्रात 4 बजे से सुबह 8 बजे तक अभिषेक के लिए और सुबह 8 बजे से के बाद रात्रि 8 बजे तक सामान्य जनों के दर्शन के लिए खुलता है