‘स्कूल चलो अभियान’ के नए प्रारूप ‘रोड टू स्कूल’ प्रोजेक्ट का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया शुभारंभ।

‘स्कूल चलो अभियान’ के नए प्रारूप ‘रोड टू स्कूल’ प्रोजेक्ट का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया शुभारंभ।

उत्तरप्रदेशबेसिक शिक्षा: ‘स्कूल चलो अभियान‘ के नए प्रारूप ‘रोड टू स्कूल‘ प्रोजेक्ट का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया शुभारंभ। सीएम योगी ने आज मंगलवार को गोरखपुर के चरगांवा ब्लॉक के लिए निपुण_भारत_मिशन के तहत प्रदेश में ‘रोड टू स्कूल’ के पहले प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया। चरगांवा ब्लॉक क्षेत्र के एक रिजॉर्ट में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षक नए भारत के निर्माता हैं। ऐसे में उनकी जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद को भी ज्ञान के विविध आयामों से अपडेट रखें। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को अपने विषय और फील्ड के साथ सामाजिक दायित्वों की भी जानकारी होनी चाहिए ताकि वे बच्चों को योग्य नागरिक बना सकें। खुद को अपडेट रखकर ही वे बच्चों को कुशल बना पाएंगे और आने वाली पीढ़ी उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करेगी।

सीएम योगी ने पिछले 7 सालों से सरकार के प्रयासों से प्रदेश के परिषदीय स्कूलों की दशा में आए बदलाव का उल्लेख करते हुए कहा कि 2017 के पहले ड्रापआउट एक बड़ी समस्या थी। बड़ी संख्या में नामांकित बच्चे भी स्कूल नहीं आते थे तो कई कक्षा 5 के बाद 6 में और कक्षा 8 के बाद 9 में एडमिशन नहीं लेते थे। सरकार ने स्कूल चलो अभियान में शिक्षकों की भूमिका को महत्व दिया तो आज ये समस्या दूर होती जा रही है। स्कूल चलो अभियान की वजह से पिछले 7 वर्षों में 50 से 60 लाख नए बच्चे बढ़े हैं। बीच के 2 साल कोरोना से प्रभावित होने के बावजूद इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 1.34 करोड़ से बढ़कर 1.92 करोड़ हो गई है। उन्होंने कहा कि जब हम बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाएंगे तो भारत का भविष्य उज्ज्वल बनाने में सफल होंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘रोड टू स्कूल’ प्रोजेक्ट स्कूल चलो अभियान का ही नया रूप है। इसमें रिसोर्स पर्सन और उनके ऊपर की टीम एक पिरामिड के रूप में बच्चों को स्कूल लाने, उनकी उपस्थित बनाए रखने और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल और कला कौशल की मॉनिटरिंग करती है। रोड टू स्कूल में बच्चों को उदाहरण देकर सिखाने ओर जोर है। यह एक अभिनव कार्यक्रम है जो बच्चों के शत प्रतिशत नामांकन, कक्षा में उनकी नियमित उपस्थिति और आगे की कक्षाओं में प्रवेश के लिए संवेदनशील प्रयास करता है। पहले से ही बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करने को यूनिफॉर्म, कॉपी किताब, बैग, जूता मोजा आदि के लिए सरकार हर बच्चे के अभिभावक को 1200 रुपये की धनराशि डीबीटी के माध्यम से देती है।