चुनाव 2024 समीक्षा – उत्तराखंड: लगातार तीसरी बार पूरा सफाया, कांग्रेस को रास नहीं आया। 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों के कांग्रेस का 1 भी सीट न जीत पाना कांग्रेस के लिए बड़ी चिंता का सबब बन गया है। अब पार्टी संगठनात्मक परिवर्तन का पूरी तरह मन बना चुकी है। हारे हुए प्रत्याशियों से हार के प्रमुख कारणों पर चर्चा करने का समय आ गया है। चूँकि निकाय चुनाव अब बहुत दूर नहीं हैं। अगर निकाय चुनावों में सफलता प्राप्त करनी है तो अभी से ही कमर कसनी पड़ेगी। आलाकमान सभी प्रत्याशियों से हार के कारण पूछेगा। ये भी देखा जाएगा कि टिकट बंटवारे में क्या कमियां रही। राज्य में लगातार हो रही हार को जीत में बदलने के लिए विशेष योजना तैयार की जाएगी।
2009 में कांग्रेस ने पाँचों सीटों पर अपना अधिकार जमाया था। लेकिन तब से पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ा है। इस बार भी लोकसभा चुनाव में मैदानी सीटों पर तो प्रदर्शन ठीक रहा, लेकिन पहाड़ में वोटबैंक पर सेंध लगी है। 2022 के विधानसभा चुनावों में जिन सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, उनमें से भी कई सीटों पर वोट प्रतिशत कम हो गया। चुनाव के दौरान भले ही केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड में प्रचार को लेकर दिलचस्पी न दिखाई हो, लेकिन अब यूपी व अन्य राज्यों में अच्छे प्रदर्शन के बाद यहां भी कांग्रेस अपनी जड़ों को मजबूत करना चाहती है। इसके लिए नए सिरे से कसरत शुरू हो गई है।
लोकसभा चुनावी हार के बाद अब आलाकमान प्रदेश में संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी में है। अंदर ही अंदर इसकी तैयारी शुरू हो गई है। विभिन्न पदों पर नए ऊर्जावान चेहरों को मौका मिल सकता है। 2022 विधानसभा में कमतर प्रदर्शन, लोकसभा में हार की हैट्रिक के बाद अब कांग्रेस के सामने आने वाले निकाय चुनाव की बड़ी चुनौती है। संगठनात्मक तौर पर इसकी तैयारी अभी शुरू होती नजर नहीं आ रही है। डेढ़ दशक से कांग्रेस देहरादून नगर निगम के मेयर पद से दूर है। अन्य निकायों में भी कांग्रेस का इतिहास ज्यादा गौरवशाली नहीं रहा है।