चुनाव 2024 समीक्षा – RSS: सच कहने में नहीं चूके इंद्रेश, भाजपा को बताया अहंकारी पार्टी

चुनाव 2024 समीक्षा – RSS: सच कहने में नहीं चूके इंद्रेश, भाजपा को बताया अहंकारी पार्टी

चुनाव 2024 समीक्षा – RSS: सच कहने में नहीं चूके इंद्रेश, भाजपा को बताया अहंकारी पार्टी, इंडिया गठबंधन राम विरोधी। आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर कहा कि राम सबके साथ न्याय करते हैं। भाजपा को लेकर उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जो पूर्ण हक मिलना चाहिए, जो शक्ति मिलनी चाहिए, वो भगवान ने अहंकार के कारण रोक दी।

भाजपा की टॉप लीडरशिप और आरएसएस के बीच के मतभेद अब उजागर हो गए हैं। सरसंघ चालक मोहन भागवत के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा ‘जो अहंकारी हो गए हैं, उन्हें 241 पर रोक दिया, जिनकी राम के प्रति आस्था नहीं थी, अश्रद्धा थी। उन सबको मिलकर 234 पर रोक दिया। यही प्रभु का न्याय है।’

इंद्रेश कुमार गुरुवार को जयपुर के पास कानोता में रामरथ अयोध्या यात्रा दर्शन पूजन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राम सबके साथ न्याय करते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव को ही देख लीजिए। जिन्होंने राम की भक्ति की, लेकिन उनमें धीरे-धीरे अहंकार आ गया। उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी घोषित कर दिया। उनको जो पूर्ण हक मिलना चाहिए, जो शक्ति मिलनी चाहिए, वो भगवान ने अहंकार के कारण रोक दी। चुनाव के दौरान भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के बयान ने भी सनसनी फैला दी थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा अब स्वाबलंबी हो गई है उसे अब आरएसएस के सहयोग की जरूरत नहीं।

अयोध्या से भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह की हार पर भी इंद्रेश कुमार ने कहा कि जो राम की भक्ति करे, फिर अहंकार करे, जो राम का विरोध करे, उसका अकल्याण अपने आप हो गया। लल्लू सिंह ने जनता पर जुल्म किए थे, तो रामजी ने कहा कि पांच साल आराम करो, अगली बार देख लेंगे।

गौरतलब है कि इससे पहले सरसंघ चालक मोहन भागवत ने भी 10 जून को नागपुर में संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को निशाने पर लिया था। भागवत ने कहा था कि जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, गर्व करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता, अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है। उन्होंने कहा कि जब चुनाव होता है तो मुकाबला जरूरी होता है। इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है। यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए।