अब ब्रेस्ट कैंसर का होगा जड़ से खात्मा, IIT गुवाहाटी ने बनाया इंजेक्टेबल हाइड्रोजेल, कैंसर कोशिकाओं को अंदर घुसकर मारने में मिली बड़ी सफलता।

अब ब्रेस्ट कैंसर का होगा जड़ से खात्मा, IIT गुवाहाटी ने बनाया इंजेक्टेबल हाइड्रोजेल, कैंसर कोशिकाओं को अंदर घुसकर मारने में मिली बड़ी सफलता।

Breast Cancer New Treatment: कैंसर के मामलों में महिलाओं में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं। WHO (World Health Organization) के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 23 लाख से ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं। इनमें से 27 प्रतिशत यानी 6.20 लाख महिलाएं मौत से हार मान लेती हैं। करीब 99 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में ही होता हैं। 1 प्रतिशत से कम ब्रेस्ट कैंसर पुरुषों को होता है।

भारत में भी हर साल 2.21 लाख केसेज ब्रेस्ट कैंसर के आते हैं। हालांकि ब्रेस्ट कैंसर का अगर समय से पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है लेकिन वर्तमान में जो इलाज है उसकी गति बहुत धीमी है। अब आईआईटी के वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक नई तकनीक निकाली है। उसने एक ऐसा हाइड्रोजेल तैयार किया है जो इंजेक्शन के माध्यम से सीधे ब्रेस्ट में कैंसर सेल के पास पहुंचा दिया जाएगा। इससे कैंसर कोशिकाएं जल्द ही खत्म हो जाएगी। जिससे मरीज को जल्द राहत मिलेगी।

IIT गुवाहाटी द्वारा बनाया यह हाइड्रोजेल दवा नहीं है बल्कि कैंसर की जो वर्तमान में दवा है उसी को कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचाने में मदद करेगा। दरअसल, कैंसर की दवा को जेल में मिला दिया जाएगा और इंजेक्शन के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचाया जाएगा। इससे ब्रेस्ट के प्रभावित इलाकों में जहां ट्यूमर है, वह बहुत जल्दी खत्म हो जाएगा। वर्तमान में जो कैंसर की दवा है उसे सीधे देने से बहुत ज्यादा साइड इफेक्ट है। लेकिन हाइड्रोजेल में अगर मिलाकर दिया जाएगा तो इससे साइड इफेक्ट एकदम कम हो जाएगा। इस शोध को प्रतिष्ठित जर्नल मेटेरियल होराइजंस (Journal Materials Horizons) में प्रकाशित किया गया है।

बतादें, वर्तमान में जो कैंसर का इलाज है, जैसे कि कीमोथेरेपी (chemotherapy) या सर्जरी इनमें गंभीर साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ता है। सर्जरी से भी ब्रेस्ट कैंसर का कभी-कभी पूरी तरह खात्मा नहीं हो पाता। खासकर तब जब कैंसर आंतरिक अंगों में हो, तो सर्जरी कैंसर कोशिकाओं को पूरी तरह नष्ट नहीं कर पाती। और तो और कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव के कारण हेल्दी कोशिकाएं भी नष्ट होने लगती हैं।

जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, हाइड्रोजेल पानी की तरह होता है जो थ्री डायमेंशनल पॉलीमर नेटवर्क होता है जो तरल पदार्थों को अवशोषित कर उसकी तरलता को देर तक बनाए रखता है। इसकी संरचना ऐसी होती है कि ये आसानी से हेल्दी कोशिकाओं को चकमा देकर कैंसर कोशिकाओं पर आघात करती है। यह हाइड्रोजेल अल्ट्रा-शॉर्ट पेप्टाइड्स से बना होता है। यह हाइड्रोजल सिर्फ उसी जगह को प्रभावित करता है जिस जगह पर कैंसर कोशिकाएं हैं। एक अखबार को साझा की जानकारी के अनुसार, आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर देवाप्रतीन दास ने कहा कि हमारी यह खोज इस बात का प्रमाण है कि विज्ञान कैंसर के इलाज में चुनौतीपूर्ण आवश्यकताओं को कैसे पूरा कर रहा है।